स्वामी चिन्मयानंद मीडिया से भले ही बात न कर रहे हों लेकिन वो फ़िलहाल मुमुक्षु आश्रम परिसर में ही हैं. एसआईटी ने उन्हें शाहजहांपुर से बाहर
जाने से मना भी किया है. बताया जा रहा है कि शनिवार को स्वामी चिन्मयानंद
ने मुमुक्षु आश्रम के तहत संचालित सभी पांच शिक्षण संस्थाओं का भ्रमण किया और कर्मचारियों से मुलाक़ात भी की.
इस बीच, एसएस लॉ कॉलेज को गुरुवार को बंद कर दिया गया था. इसके पीछे कोई वजह तो नहीं बताई जा रही है
लेकिन एसआईटी टीम के बार-बार परिसर में आने और चिन्मयानंद समेत कई लोगों से पूछताछ करने के कारण शायद ये क़दम उठाया गया है. सोमवार को कॉलेज फिर से खोले जाने की सूचना गेट पर चस्पा कर दी गई है.
कॉलेज परिसर में मिले
कुछ छात्रों से जब इस प्रकरण पर बात करने की कोशिश की गई तो सामने आकर किसी
ने बात नहीं की लेकिन कैमरे और रिकॉर्डर से दूर होने के बाद बेहद उदास और मायूसी के साथ अपनी बात रखी. इतिहास विषय में एमए कर रहे एक छात्र को इस बात का बेहद कष्ट था कि उनके कॉलेज के 'सर्वेसर्वा और सबसे आदरणीय व्यक्ति
को ऐसी ह
एसएस पीजी कॉलेज के कुछ प्राध्यापकों ने बताया कि छात्र आपस में तो
चर्चा कर ही रहे हैं, सबसे बड़ी दिक़्क़त और शर्मिंदगी का सामना तो तब करना
पड़ता है जब 'हमारे अपने छात्र आकर इस पर कुछ पूछते हैं, वो भी चटखारे
लेते हुए.' एसएस पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर अवनीश मिश्र, लॉ कॉलेज के प्रबंधक भी हैं. डॉक्टर मिश्र भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि इन सब
घटनाओं से मुमुक्षु आश्रम के शैक्षणिक संस्थानों की छवि पर तो असर पड़ ही
रहा है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सब जल्द ही सही हो जाएगा.
रकत के साथ दुनिया देख रही है.'
डॉक्टर अवनीश मिश्र कहते हैं, "जब ऐसे विवाद सामने आते हैं तो स्वाभाविक
रूप से हमारी अपनी नैतिकता को धक्का पहुंचता है. लेकिन मुझे उम्मीद है कि
यह ग्रहण काल जल्द ही समाप्त हो जाएगा."
शाहजहांपुर में बरेली रोड पर स्थित मुमुक्षु आश्रम से एक ही परिसर में पांच शिक्षण संस्थान संचालित
होते हैं. स्वामी चिन्मयानंद साल 1989 में मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता बने और इस वजह से वो यहां से संचालित होने वाले सभी शिक्षण संस्थाओं के प्रमुख
भी हैं. क़रीब 21 एकड़ ज़मीन में फैले इस आश्रम परिसर में ही उनका निवास
है जिसे 'दिव्य धाम' कहा जाता है.
सभी संस्थानों में कुल मिलाकर
क़रीब दस हज़ार छात्र यहां पढ़ते हैं. समाज कल्याण विभाग ने दलितों और
पिछड़ों के लिए दो छात्रावास बनाए हैं, उन्हीं में से एक छात्रावास में
पीड़ित लड़की भी रहती थी जिसे अब सील कर दिया गया है.
लेकिन पीड़ित लड़की का बयान इससे एक़दम उलट है. लड़की का कहना है, "हां,
मुझे कॉलेज में काम दिलाया था कंप्यूटर ऑपरेटर का. लेकिन मुझे कॉलेज के
काम से जानबूझकर देर तक रोका जाता था जिसकी वजह से स्वामी चिन्मयानंद दबाव
डालने लगे कि तुम छात्रावास में ही रुक जाया करो. इस वजह से मैं वहां रुकती
थी. बाद में उनके लोग ज़बरन सुबह छह बजे ही मुझे चिन्मयानंद के पास ले
जाते थे."
चिन्मयानंद पर इससे पहले भी ऐसे आरोप लग चुके हैं जिनमें कुछ ने काफ़ी सुर्खियां भी बटोरी थीं. स्वामी चिन्मयानंद के शुभचिंतक और उनके प्रवक्ता इसे 'स्वामी जी की छवि ख़राब करने की साज़िश' बता रहे हैं
लेकिन शाहजहांपुर के आम लोगों के बीच स्वामी चिन्मयानंद की इस छवि से लोग
अनजान नहीं हैं.
कॉलेज के एक पूर्व छात्र रामजी अवस्थी बताते हैं, "इस लड़की की हिम्मत
की तारीफ़ होनी चाहिए, वर्ना तो स्वामी चिन्मयानंद की ऐसी गतिविधियों को
लेकर कॉलेज कैंपस से शहर भर में भला कौन परिचित नहीं है. युवा उनके ख़िलाफ़
अब सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें गिरफ़्तार कराकर ही मानेंगे."
वहीं लेखक और पत्रकार अमित त्यागी इस मामले में दोनों पक्षों में से
किसी को भी पाक-साफ़ नहीं मानते. वो कहते हैं, "दोनों पक्षों की ओर से जो
वीडियो सामने आए हैं, उससे दोनों की ही गतिविधि गरिमापूर्ण नहीं कही जा
सकती. इस पूरे प्रकरण में क़ानूनी पक्ष चाहे जिधर जाए, लेकिन दोनों ही
स्थितियों में सामाजिकता और नैतिकता का क्षरण हो रहा है."
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